विवाहित स्त्रियों के जीवन में बिछिया का महत्व
विवाहित स्त्रियों को अपने पैरों से
बिछिया को गलती से भी उतारने की गलती नहीं करनी चाहिए। धर्मगुरुओं से लेकर
वैज्ञानिकों ने भी इस बात को महत्वपूर्ण बताया है। बिछिया सिर्फ सुहाग की निशानी
नहीं है लेकिन इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी अधिक है। चलिए आज हमको आज हम
आपको इस लेख में बिछिया के महत्व के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
विवाहित स्त्रियां भूल कर भी अपने पैरों से न
उतारे बिछिया
किसी भी लड़की का जब विवाह होता है
तो उसे कई ऐसे आभूषण पहनाई जाते हैं जिसका इस्तेमाल सिर्फ शादीशुदा महिलाएं ही
करती है। वह आभूषण ऐसे आभूषण होते हैं कि जो सुहाग की निशानी भी कहलाते हैं जैसे
की मंगलसूत्र, मांग में सिंदूर और पैरों में पायल और बिछिया। यह सारे आभूषण किसी
भी लड़की का सफल मनोरथ पूर्ण करने में मददगार साबित होते हैं। आज की नई पीढ़ी के
लड़के लड़कियों को यह बात सुनने में शायद अटपटी लगेगी लेकिन यह बात सौ प्रतिशत सच
है । अब तो वैज्ञानिकों ने भी सुहागन स्त्रियों को धारण करने वाले आभूषण में संबंध
में कई सारे वैज्ञानिक फायदे बताए हैं।
बिछिया धारण करने का धार्मिक महत्व
जब भी किसी लड़की का ब्याह होता है
तो उसको गले में मंगलसूत्र और पैरों में बिछिया जरूर पहनाई जाती है। पैरों में
बनाई जाने वाली बिछिया चांदी से बनी हुई होती है। बिछिया का धार्मिक महत्व यह है
कि इसे लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है और एक शादीशुदा सुहागन महिला ही इसे धारण
करती है। इसके अलावा बिछिया को लेकर धार्मिक मान्यता यह भी है कि कमर के नीचे सोने
के आभूषण नहीं पहने चाहिए। ऐसा करने को लक्ष्मी माता का घोर अपमान भी कहा जाता है।
इसलिए ही महिलाएं पैरों में चांदी की बिछिया पहनती है। इसके अलावा महिलाएं पैरों
में पायल पहनती है वह भी चांदी की ही होती है।
बिछिया पहनने का वैज्ञानिक फायदा
अब तो वैज्ञानिक भी पैरों में बिछिया
और पायल पहनने से सहमत हो चुहैंहैं। वैज्ञानिकों के अनुसार पैरों में बिछिया और
पायल पहनने से शरीर में ऊर्जा का संचार बेहतर तरीके से होता है। चांदी एक ऐसी धातु
है जो विद्युत का सुचालक है, जो धरती पर पहला उर्जा को सोख लेता है और इसे सोखकर
हमारे शरीर में पहुंचाता है। इस ऊर्जा के कारण महिलाओं में नकारात्मकता की कमी हो
जाती है और महिलाओं में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
बिछिया पहनने का शारीरिक फायदा
बिछिया को हमेशा महिलाओं के अंगूठे
की बगल वाली उंगली में ही पहनाया जाता है। बिछिया एक्यूप्रेशर का भी काम करती है।
बगल वाली उंगली की नसें सीधी ही हमारे ह्रदय और गर्भाशय को प्रभावित करती है।
इसलिए बीच वाली उंगली पर जैसे ही असर होता है वह हृदय की गति को सुचारू रूप से सही
कर देता है। इसके अलावा महिलाओं में मासिक धर्म में भी यहीं एक्युप्रेशर बहुत ही
कारगर है जो बिछिया पहनने के कारण महिलाओं को प्राप्त होता है।