हिंदुस्तान का सबसे बड़ा नाला
दोस्तों अक्सर हम हिंदुस्तान की सबसे
बड़ी नदी ,समंदर, पहाड़ों और शहरों के बारे में बातें करते हैं लेकिन आज के इस
आर्टिकल में हम आपसे बात करेंगे हिंदुस्तान के सबसे बड़े नाले के बारे में। आपको
शायद सुनकर अजीब लगेगा लेकिन दोस्तों हिंदुस्तान में कुछ ऐसे बड़े भी नाले मौजूद
थे जिनको सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि एशिया में सबसे बड़े नाले की उपाधि
दी गई थी और ऐसा नाला उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में सीमा मऊ नाला था जिसे पिछले
कुछ सालों पहले ही बंद कर दिया गया था। फिलहाल एक खबरों के अनुसार हिंदुस्तान का
सबसे बड़ा नाला महाराष्ट्र के महानगर मुंबई में मौजूद है।
हिंदुस्तान का सबसे बड़ा नाला
हिंदुस्तान का सबसे बड़ा नाला सीमा
मऊ नाला कानपुर शहर में स्थित था। यह
नाला सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि एशिया का भी सबसे बड़ा नाला था।
कानपुर शहर में इस हिंदुस्तान के
सबसे बड़ा सीसामऊ के कारण गंगा में प्रतिदिन 2.5 करोड़ लीटर गंदा पानी गिरता था।
आपकों के सबसे बड़े नाले की एक और बात बता दी की यह नाला अंग्रेजों के जमाने में
126 वर्ष पूर्व बना था।
बंद हो गया हिंदुस्तान का सबसे बड़ा नाला
आपको बता दे की सीमा मऊ नाले को साल
2018 में ही बंद कर दिया है। हिंदुस्तान के सबसे बड़े और एशिया के सबसे बड़े 128
साल पुराने इस नाले की गंदगी से गंगा नदी को पिछले 4 सालों पहले मुक्ति मिली है।
भैरो घाट से डायवर्ट किया गया सीवेज जाजमऊ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचा कर नमामि
गंगे का सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी सफल हुआ था।
गंगा नदी हुई निर्मल
हिंदुस्तान के सबसे बड़े नाले को बंद
कर देने के बाद गंगा नदी निर्मल और स्वच्छ बन चुकी है। यह एक सबसे बड़ी कामयाबी
है। हिंदुस्तान के सबसे बड़े नाले को बंद करना एक बहुत ही बड़ा चुनौतीपूर्ण कदम था
जिसे लेकर जल निगम व नमामि गंगे के इंजीनियर भी सांसत में थे। इस नाले से 14 करोड़
लीटर सीवेज गंगा नदी में गिराता था ले इसमें से 8 करोड़ लीटर सीवेज कुछ दूर मोड़कर
एसटीपी तक भेज दिया गया था। एक बात यह भी है कि महज 6 करोड़ लीटर गंदगी गंगा में
जाने से रोकने में इंजीनियरों की सांसें तक फूल चुकी थीं क्योंकि नाले का वेग किसी
नहर के समान ही था। ढलान से पंप करके इसे 9.5 किलोमीटर दूर एसटीपी तक पहुंचाना
बहुत ही मुश्किल कार्य था क्योंकि जेएनएनयूआरएम की दागदार पाइप लाइन के साथ ही इस
रूट पर ब्रिटिश जमाने का डॉट नाला भी है।
नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत
प्रोजेक्ट बनाकर प्रयास किया गया और इसे दो भागों में मोड़ दिया गया। हिंदुस्तान के
इस सबसे बड़े नाले से निकलने वाले 140 एमएलडी गंदे पानी में से 80 एमएलडी बिनगवां
और 70 एमएलडी पानी जाजमऊ ट्रीटमेंट प्लांट भेजा जा रहा है। यह 9 किलोमीटर लंबा
सीवर लाइन है जिसे एसटीपी किया गया है। हिंदुस्तान के सबसे बड़े नाले सीमा मऊ को
बंद कर देने के बाद अब गंगा सफाई में काफी ज्यादा फर्क पड़ रहा है क्योंकि इस नाले
से जितनी गंदगी गंगा नदी में जा रही थी और गंगा दूषित हो रही थी उसको रोकने में सफलता
मीली है।