नर्क से बचने के उपाय हिंदी में, nark se bachne ke upay in hindi, nark se bachav ke upay hindi me,
दोस्तो हमारे देहांत के बाद हमे स्वर्ग मिलेगा या नर्क यह तो ईश्वर इच्छा पर ही निर्भर रहेता है। हमारे जीवन कल में हम कई ऐसे कार्य करते है जीससे की हमे मरने के बाद स्वर्ग सुख मिले। लेकीन इस बात से तो हम में से कोई भी इन्कार नही कर सकता है की हमारे जीवन काल में हम जाने अनजाने कई ऐसे काम कर जाते है जिस से भगवान नाराज होता है तो अगर आप से भी कुछ ऐसा कष्टदायक काम हो चुका है और आपको लगता है की आपका नर्क में जाना तो तय है , तो डरे नही। हम आपके लिये एक ऐसा उपाय लेकर आए है जो आपके सारे पाप दो देगा और आपको नर्क से भी मुक्ती मिलेगी,
नर्क से बचा सकता है सिर्फ एक वस्तु का दान,
भारत एक ऐसा देश है जहा हर धर्म में दान और पुण्य का बड़ा ही महत्व बताया गया है। इसीलिए आज इस लेख में हम बात रहे हैंहमारे शास्त्र में वर्णित उस एक दान के बारे में जिसे करने से नर्क से हम अवश्य बच सकते हैं (नर्क से बचने के उपाय हिंदी में, nark se bachne ke upay in hindi )। जो कोई भी सच्चे मन से और आस्था से इस दान को करता है उसे सीधे स्वर्ग में ही स्थान प्राप्त होता है। हम में से कोई भी नर्क भोगना नही चाहता है लेकिन हमारे द्वारा अनजाने में किए गए कर्मो के फल स्वरुप ही हमें मृत्यू के स्वर्ग और नर्क की प्राप्ति होती है। हमारे धर्म शास्त्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि अगर गोदान किया जाए तो सभी प्रकार के दोषों से छुटकारा मिल जाता है तो वही स्वर्ग में जगह मिलती है।
नर्क से बचने के लिये गाय का दान करें
हमारी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक गाय को सबसे पवित्र जीव माना गया है। अब इस बात से तो कोई भी इन्कार नही है की गाय माता की पूजा ईश्वर तुल्य ही है। ऐसे में अगर हम गाय का दान करते हैं तो हमें नर्क से मुक्ती और स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इसीलिए अक्सर हम यह देखते है कि किसी की मृत्यु हो जाने पर कर्मकांड के समय अन्य विधी के साथ ही गोदान भी अवश्य ही करवाया जाता है।
गाय के देह में देवों का वास
हमारे पुराणो के अनुसार गाय के शरीर में देवों का वास होता है। इस बारे में पुराण कहेते है की गाय के संपूर्ण देह रचना में अलग-अलग देवी देवताओं का वास है। हमारे पुराणो में बताया गया है की गाय माता के सिर में महादेव का वास, आंखों में सूर्य चंद्रमा, जीभ में वरुण, गाय के दोनों सीघों में ब्रह्मा और विष्णु, बाल में सूर्य देव की किरणें, गोमूत्र में गंगा, पेट में पृथ्वी, गोबर में यमुना, माथे पर गौरी, नथनो में कार्तिकेय, कानों में अश्वनीकुमार, दातों में श्री कृष्ण, गले में देवराज इंद्र, खुर में गंधर्व, तथा चारों थनों में चारों समुद्रों का वास बताया गया है।
गाय का दान करने की विधि
हमारे शास्त्रों के अनुसार हर सुबह कार्य करने पर गोदान का विधान बताया गया है। वैसे तो हम कभी भी गोदान कर सकते हैं लेकिन बड़े यज्ञ, भागवत तथा बाल्मीकि कथा जैसे आयोजन करने पर भी अक्सर जातक के घरो में गोदान करवाया जाता है।
अवसर चाहे कोई भी हो लेकीन गोदान के समय गौ माता का शृंगार किया जाना चाहिए क्योंकी ये बेहद ही जरुरी है। किसी ब्राह्मण को गाय का दान देने से पहेले गाय के संपूर्ण शरीर की पूजा की जाती है इसके पश्चात उसे रोहित या किसी ब्राह्मण को दान दिया जाता है। कहा गया है कि हमें तंदुरस्त और सुंदर गाय का ही दान करना चाहिए। कभी भी भूलकर बूढ़ी गाय का दान न करें और ये बात जरूर याद रखे।